यह मेरी मनोदशाएँ है जिसका चित्रण मैं मेरी निम्न कविताओं के माध्यम से करना चाहता हू –
मनोदशाएँ क्या है?
अलग अलग समय पर हम अलग विचारों में खोये रहते है, या कहे की अलग अलग मनोदशाएँ हमें एक व्यक्ति के तौर पर बदलती रहती है:-
I
मेरे जज़्बातों की सुलगती कहानियां है
इस छिपे आतिश को मैं कैसे हवा करूँ
अश्क़ को पानी की बूँद ही कह लो
पर इसमें सिमटी गहराईयां कैसे बया करूँ
तन्हाई का दर्द और अकेली सिसकियाँ
रूह तक फैले मर्ज़ की कैसे दवा करूँ
मैं कही नहीं हूँ इस फ़ैली बहार में
इस रुकी सी ज़िन्दगी को कैसे रवा करूँ
II
जाने वाले पलट के देख तो ले
कुछ पलके अभी से तकने लगी है राहें
ज़िन्दगी से मिले है चंद लम्हे ही मुझे
आरज़ू बहुत है, यह चाहे की वह चाहे
III
हर लब्ज़ खो जायेगा, जो बोला था मैंने
हर ख्याल मिट जायेगा, जो सोचा था मैंने
एक तू नहीं मिटता
तेरी हस्ती नहीं मिटती
फिर भी मैं बनकर
मैं ही लिख रहा हू