Submitted by Avnish Solanki
सुबह के 8:00 बज रहे थे, जूते का तश्मा बांधते हुए मन में और भी निश्चय बंधते जा रहे थे, लगातार एक सोच, एक सवाल, मन में हिलोरें मार रहा था। क्या आज नौकरी मिल जाएगी ? क्या अर्जियों का सिलसिला आज बंद हो जाएगा?
नौकरी के लिए वो सिफारिशों के पैंतरे नहीं अपनाना चाहता था, उसका इन हथकंडों के खिलाफ होना वाज़िब था क्योंकि वह बचपन से ही बहुत आज्ञाकारी और ईमानदार था। उसके शिक्षकों की नजरों में वह बहुत ही शिष्ट और लायक युवक था।
पुस्तकों के अध्याय उसके लिए मात्र किताबी बातें नहीं थी, जिंदगी के मूल्य थे। अपने उसूलों के घेरे में घिरे हुए, वो परंपरागत रूप से हमेशा की तरह माँ का दिल रखने के लिए दही खाने ( डाइनिंग टेबल) पर पहुंच गया।
पर वो ये देखकर थोड़ा हैरान था कि मां के चेहरे पर परेशानी की एक शिकन भी नहीं थी। हमेशा की तरह उनकी आंखों में नौकरी न मिलने का भय नहीं था।
माँ की आंखों में इस समय इतना विश्वास झलक रहा था मानो उनके बेटे से ज्यादा लायक और काबिल युवक कहीं हो ही नहीं सकता।
वह अभी तक मां की संतुष्टि का रहस्य भांप नहीं पाया था। इतने में कि वह खुद कुछ समझ पाता उसकी मां ने थोड़ी मुस्कुराहट के साथ मौके और अपने शब्दों को संभालते हुए कहा –
बेटा तुमने जो बचपन से पढ़ा है और जो तुम्हें सिखाया गया है वो सब सच है। पर आजकल के जमाने में उन सब मूल्यवान बेटों और उन मूल्यों को तिरस्कृत किया जाता है, जब तक कि तुम्हारे पास वो पद और पैसा नहीं है।
“तुम्हारे पिताजी की मुलाकात कल तुम्हारे इंटरव्यू बोर्ड के एक अध्यक्ष से हुई, सो इस बार अपनी नौकरी पक्की समझो। इस बार सिफारिश लेने से इंकार मत करना क्योंकि यह जिंदगी की जरूरत है।
बाकि सारी किताबी बातों पर तो तुम, बाद में भी अमल कर सकते हो। आगे तुम्हारी अपनी इच्छा है।”
इस बात का खुलासा होने पर और ज्यादा प्रश्नों के घेरों ने, पहले के घेरे के दायरों को बढ़ा दिया। बिना कुछ कहे वह घर से चला गया। मां चिंतित होकर अब खुद को मन ही मन कोसने लगी।
शाम को दरवाजे पर घंटी बजी। मां ने जैसे ही दरवाजा खोला, तेईस वर्षीय युवक इस तरह सीना ताने खड़ा था मानो शरीर की लंबाई व चौड़ाई दोगुनी हो गई हो।
आंखों में हजारों उमंगे, मां की आशा पूरी करने की चाह लिए, खुशी से खिलखिलाता हुआ चेहरा लिए, दरवाजे पर, मां का बेटा खड़ा था।
मां ने पीठ थपथपाई और उसे बधाई दी। सभी रिश्तेदारों और दोस्तों से बधाई मिलने पर उसकी खुशी और बढ़ती जा रही थी।
लेकिन अब खुशी की रफ्तार में वह तेजी नहीं थी ये सोचते हुए कि कब तक अपने उसूलों से घिरे प्रश्नों से बचता रहूंगा।
खुद के मन को मनाते हुए उत्तर देने लगा कि ये नौकरी चाहे जैसे भी मिल गई हो परंतु भविष्य में कोई भी काम सिफारिश के बल पर नहीं करूंगा।
मेरे काम की शुरुआत व अंत ईमानदारी पर टिका होगा। ये खुद को समझा कर वह थोड़ी देर शांति से सोने चला गया।
ये जगह आज अजीब सी लग रही थी। यहां सूर्य की रोशनी की कमी थी। यह जगह बहुत सुनसान थी पर फिर भी हजारों चींखों की दबी सी गूँज कहीं से, ध्यान से सुनने पर सुनाई पड़ रही थी।
कदम जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रहे थे, मानो अपने किसी अज़ीज से मिलने का फासला कम सा होता नजर आ रहा था। कुछ था, जो आगे बढ़ने से रोक रहा था, पर फिर भी कदम बढ़ते जा रहे थे।
वहीं मुझे कोई पेड़ से सट कर बैठा हुआ नजर आया। मेरे शरीर में जैसे जान आ गई हो। मैं तेजी से चल कर उसकी ओर बढ़ा।
मैनें राहत की सांस ली कि चलो इस सुनसान जगह पर कोई तो है, उसके कंधे पर हाथ रखा तो पाया, एक मासूम चेहरा, आंखों में समंदर से भी ज्यादा गहराई, जिसमें बहुत बड़ा दुख छिपा हुआ था।
चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे सब कुछ लुट चुका हो। लग रहा था कि होंठ तो जैसे अब कभी भी नहीं खुलेंगे क्योंकि अब शब्द खत्म हो चुके हैं।
मैं उसे देखता ही रह गया, मैनें क्षण भर बाद पूछा, तुम कौन हो? इतने सन्नाटे में क्या कर रहे हो।
ऐसे भाव जैसे जवाब देने में कोई दिलचस्पी नहीं। फिर भी वो कुछ दूसरी ओर चेहरा करके बोला, यहां कोई सन्नाटा नहीं है।
यहां चीखे हैं हजारों के स्वाभिमान की। यहां उनके मालिक उन्हें छोड़ गए हैं और अब यह स्वाभिमान चीखते चीखते थक चुके है।
तो क्या तुम इनके लिए रो रहे हो?
नहीं ,मैं अपने मालिक के लिए रो रहा हूं। मैं तुम्हारा स्वाभिमान हूं , तुमने भी मुझे छोड़ दिया। आखिर क्या कमी होती है स्वाभिमान में? यही ना कि वो इंसान को इंसान बनाए रखता है।
तो मैं सन्नाटे में रोते रहना ज्यादा पसंद करूंगा, बजाय कि तुम्हारे शरीर में रहने के। युवक अपने स्वाभिमान को देखकर भावुक हो गया और उसने उसे ज़ोर से गले से लगा लिया। आंखों से पानी बह रहा था कि अचानक उसकी नींद खुल गई।
युवक समझ गया था, जिसकी नींव ही भ्रष्टाचार पर टिकी हुई हो, उस पर बनाई जाने वाली इमारत का क्या होगा?
उसने उस नौकरी को छोड़ने का निश्चय कर लिया। बेशक वह कम ही पैसे क्यों ना कमा रहा हो, पर आज वह अपने स्वाभिमान के साथ ज्यादा खुश है।