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बात समझ ए मीत

जब तन एक, मन में क्यों भेद है
झांक अतीत में, बात समझ ए मीत

सब समान जहाँ में
हर संत, हर पैगम्बर का यही तो है गीत
झांक अतीत में, बात समझ ए मीत

न कुछ तेरा, न कुछ मेरा
छूट सभी यहाँ जाना है
क्या तुझको यह याद नहीं, सदियों से यही रीत
झांक अतीत में, बात समझ ए मीत

कागज़ पर खींच लकीरे
इससे जीते, उससे हारे
अपनों से तो हार जा, पर जा स्वयं से जीत
झांक अतीत में, बात समझ ए मीत

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