बहुत पुकारा तुम्हे
पर लगता है इस सफर में
तुम बहुत दूर निकल गये
जज़्बातों से सूनी दुनिया में
तुम सुकून के कुछ पल थे
ज़िन्दगी थी उन्ही पलों में
जिन पलों में तुम थे
पर लगता है इस सफर में
तुम बहुत दूर निकल गये
बहुत पुकारा तुम्हे
अब मैं भूली यादों सा
चाहता हूँ बस खो जाऊ
ख्वाब सरीखे तुम्हारे जीवन में
फिसली हुई रेत हो जाऊ
बहुत पुकारा तुम्हे
पर लगता है इस सफर में
तुम बहुत दूर निकल गये