“Love, but be careful what you love.” — Saint Augustine
फिल्म में, क्लास में, घर के बाहर, इधर- उधर क्या हुआ, ये पूरी दिनचर्या और आप बीती सुनाना मेरी आदत थी, कभी मम्मी को, तो कभी पापा जी को। उस दिन पापा जी की बारी थी। हम लोग घर की छत पर बैठे थे। मैं एक फिल्म की कहानी अपने पापा जी को सुना रही थी। मैंने कहानी सुनाते हुए कहा: पापा जी हीरो को हीरोइन से प्यार हो जाता है। तो पापा जी ने मुझे कहानी के बीच में रोक कर कहा- बेटा प्यार क्या होता है। मैंने कहा जो हीरो को हीरोइन से हुआ वही प्यार है। मतलब कि वह पसंद आने लगता है…….मैं रुक रुक कर जवाब दे रही थी क्योंकि मुझे खुद ही इसका जवाब नहीं पता था। मैंने कहा जो पसंद आ जाए, वही प्यार है। जो अच्छा लगने लगे, वही प्यार है। या जो बुरे वक्त में साथ दे, वही प्यार है। यही सब बुदबुदाते हुए मैंने इस प्रश्न का जवाब दिया।
पुराने ज़माने में लोग जब प्यार शब्द बोलने में भी कतराते, शर्माते और हिचकिचाते थे कि कहीं कोई सुन न ले। उस ज़माने में भी मुझे अपने पापा जी से कोई भी बात करने में शर्म आती नहीं थी। चाहे वो प्यार ही क्यों ना हो। लेकिन उस वक़्त अपने प्यारे पापा जी को इसका जवाब दे पाना लगभग नामुमकिन था। मैं मात्र नौवीं कक्षा की ही तो छात्रा थी। सच कहूँ तो आज भी इस प्रश्न का मेरे पास कोई उत्तर नही है। हालांकि वक्त देखते हुए मैंने फिल्म की कहानी पूरी तो कर दी। लेकिन यह प्रश्न मेरे मन में नौवीं कक्षा से लेकर यौवनावस्था तक या यूं कहिए कि आज तक भी, ऐसे ही कौंधता है। फिर भी मैंने कुछ लिखने का प्रयास किया है।
फिल्मी दुनिया की भाषा में कहूं तो प्यार वो ज़लज़ला है जो आपको सारी दुनिया से लड़ने की ताकत दे। प्यार वो एहसास है जो आपको सारी दुनिया भुला दे। आप केवल उसी की खुशी और ग़म के लिए जीना चाहते हो। यूं तो प्यार में इंसान आधा पागल सा हो जाता है।
पर असली जिंदगी में ये प्यार एक केमिकल लोचे के अलावा कुछ भी नहीं।
दोनो तरफ एक ही और सही समय पर एक जैसा केमिकल लोचा होने पर ही प्यार का अनुभव होता है। नहीं तो व्यक्ति एकतरफा प्यार का पाबंद हो जाता है।
Torture वाला लव:
शादी से पहलेे एक लड़के का आप के लिए मजनूं बन जाना या आपके लिए दीवाना हो जाना, इसी लव का लक्षण है। इस हद तक मजनूं बनना कि शादी करके ही दम ले और शादी के बाद इस तरह बेगाना हो जाना जैसे कि एक- दूसरे को जानते ही ना हो बिल्कुल एक एलियन की तरह। यह लव एक तरह से गले की फांस बन जाता है, जो ना तो उगलते बनता है और ना ही निगलते।
हंसी वाला लव:
एक ऐसा लव जिसमें आपका साथी आपको हंसाने का हर संभव प्रयास करता है। जब आपके पार्टनर के केवल होने का अहसास ही आपको अंदर से गुदगुदा दे। जिसके साथ रहकर आप अपने सारे ग़म या तो भूल जाते हो या ग़म जीने और पीने का सलीका सीख जाते हो।
त्याग वाला लव:
इस तरह का लव करने वाले लोग कुछ अलग ही किस्म के होते है। ये आपकी इच्छाओं, जरूरतों को पूरा करने के लिए चुपचाप अपनी चाहतों को त्यागते रहते हैं। ये इस हद तक प्यार करते हैं कि आपकी छोटी छोटी इच्छायें इनके लिए किसी अमृत से कम नही।
स्वार्थ वाला लव:
इस तरह के पार्टनर जहरीले होते हैं। जिनसे हमेशा बच कर रहना चाहिए। इनके आपसे प्यार करने के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ छिपा होता है। अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। ये मानसिक रूप से तो प्रताड़ित करते ही हैं और बात शारीरिक प्रताड़ना तक भी पहुंच जाए तो कोई बड़ी बात नही। ये इतने दूरदर्शी होते हैं कि सालों साल इनके साथ रहने के बाद भी आप इनकी चालाकी से वाकिफ़ नही हो पाते। बोलचाल में ये मीठी छुरी बनकर एक मिनट में आपका मन मोह लेते हैं। आप इनके साथ थोड़े वक़्त के लिए तो खुश रह सकते हैं लेकिन ताउम्र बिताना किसी जंग से कम नही।
आत्मीयता वाला लव:
इस तरह के प्यार में दो लोगों की आत्मा एक दूसरे से जुड़ती है। ऐसे लोग आपके चेहरे के नीचे छुपे भाव भी आसानी से पढ़ने और समझने में सक्षम होते हैं। ये ईशारों में बातें करना ज्यादा पसंद करते हैं। इनकी बातों पर आप पूर्णतया विश्वास करते हो। स्वतः ही इनका हो जाने का मन करता है।
Fraud वाला लव:
इनका केवल एक ही मकसद होता है आपकी ज़मीन-जायदाद और रुपयों पर कब्ज़ा करना चाहे शादी से पहले हो या बाद मे। इस तरह के पार्टनर देखने में चोर उच्चके बिल्कुल नहीं लगते। लेकिन इनकी मंशा किसी डाकू से कम नही होती।
प्रोत्साहन वाला लव:
जिसकी बातें आपको जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें। उसका हर लब्ज आपके लिए शिलाजीत का काम करे।
आकर्षक वाला लव: जब किसी की पहली झलक आपको उसके ही ख्वाबों में रहने पर मजबूर कर दे।
भूत वाला लव:
ये लव इन सबसे ज्यादा खतरनाक है। इसमें आपका पार्टनर ना तो आपके आस पास होता है और ना ही कोई चांस होता है लेकिन फिर भी आपका मन केवल उसी के ख्यालों में रहने को करता है। हद तो तब हो जाती है जब आप उसके लिए सारी उम्र शादी ना करने तक का फैसला कर बैठते हैं।
व्हाट्सएप , फेसबुक वाला लव:
ये दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा है। इस तरह का लव लोगों द्वारा आपके फोटो और विडियो पर किये गए लाइक्स पर पूर्णतया निर्भर करता है। इसमें ऑनलाइन ही आपका प्यार परवान चढ़ जाता है। आपके सारे वादे इरादे यहीं पूरे हो जाते हैं। ऑनलाइन ही शादी हो जाती है यहां तक कि कभी कभी तो ऑनलाइन ही बच्चे पैदा होने की संभावना पैदा हो जाती है।
इश्क़ वाला लव:
ये वो जुनून है जो न तो आपको चैन से सोने देता है और न ही जागने। इस स्थिति में वो गाना एकदम पर्फेक्ट फिट होता है “मुझे नींद ना आए, मुझे चैन ना आए, कोई जाए जरा ढूंढ के लाए, ना जाने कहाँ दिल खो गया”। इसमे ना तो आप अपने पार्टनर का बुरा सोचते हो और न ही भला। बस आप उसको पाने की चाह रखते हो। उसकी एक झलक के लिए मचलते रहते हो। उसका साथ पाने के लिए बेचैन रहते हो। हमेशा उसके ख्यालों में उठते जागते हो। उसके केवल वजूद का अहसास ही आपके अंदर सिरहन पैदा कर देता है। उसकी खुशबू आपके अंतर्मन को छू जाती है।
प्रोत्साहित करने वाला लव:
हर वो शख्स जिसकी एक मधुर आवाज से आपकी जिंदगी के मायने बदल जाते हैं। उसके अनकहे शब्दों से भी आपके जिंदगी में रंग भर जाते हैं। जो आपके हर मुश्किल क्षणों में हर वक्त साथ रहता है। जिसके हर शब्द से आपके खून में जोश प्रस्फुटित हो। जिसका प्रोत्साहन ही आपकी जिंदगी के होने का एहसास दिलाए।
जख्म भरा लव:
ये एक ऐसा दर्दे दिल है, जो आपकी जिंदगी का सबसे बड़ा दुश्मन है, क्योंकि ना तो इसके बगैर आप रह पाते हैं। और ना ही इसके साथ रह पाते हैं। जी हां शादी के बाद, जिसे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर कहा जाता है, इसी लव में आता है। वो रहनुमा जिसकी राहनुमाई से आपको ये दुनिया हर पल नई लगती है और उसके ना होने से एक श्मशान के जैसी।
लेसबियन/ गेज वाला लव:
जब किसी खास के प्रति आपका आकर्षण और भावनाएं दुनिया से बेपरवाह कर दे।
जोरदार लव:
किसी की लाख बुराई भी आपको उसके रंग में रंगने से न रोक पाए। जब उसकी कमियों के साथ भी आप उसे खुशी से स्वीकार करें।
काम वाला लव:
ये दुनिया का सबसे बड़ा अजूबा है। इसका वजूद बहुत ही खोखला है। ये तब तक रहता है जब तक आप किसी के काम आ रहे हैं। जैसे ही आप औरों के काम को विराम देंगे, इसका खात्मा स्वयं ही हो जाता है।
हिसाब किताब वाला लव: इस लव का अस्तित्व भी निराला है। इसमें आपका पार्टनर आपके द्वारा किए गए अहसानों का लेखा-जोखा तैयार कर करता है। उसी के अनुसार आपकी जिंदगी में शामिल होता है।
हिसाब किताब वाला लव:
इस लव का अस्तित्व भी निराला है। इसमें आपका पार्टनर आपके द्वारा किए गए अहसानों का लेखा-जोखा तैयार कर करता है। उसी के अनुसार आपकी जिंदगी में शामिल होता है।
पोजेशन वाला लव:
इसमें व्यक्ति आपके सभी अधिकारों को, चाहे वो मानसिक हो, शारीरिक, सामाजिक या सांस्कृतिक, उनका अधिग्रहण करना चाहता है। वह चाहेगा कि जैसे उसके आदेश हो वैसा ही आप काम करें। यह कुछ-कुछ ऐसा ही है, जैसे इस गाने में कहा गया था, तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे।
मानसिक प्रताड़ना वाला लव:
इसमें आपका पार्टनर आपको मानसिक रूप से परेशान करने के सारे पैंतरे अपनाता है। जिससे उसको आत्मिक संतुष्टि मिलती है। यह केवल क्षणिक भर ही होती है लेकिन इसका मकसद आप को दुखी करने के अलावा कुछ भी नहीं होता।
संतुष्टि वाला लव:
एक ऐसा साथी जिसके साथ आपको खाना-पीना, उठना-बैठना, घूमना-फिरना या कोई भी काम करना, केवल और केवल संतुष्टि का एहसास दिलाता है।
बौद्धिक लव:
जब कोई व्यक्ति आपकी बौद्धिक क्षमता से संबंधित सभी प्रश्नों के जवाब देने लगे, तो आपको वह व्यक्ति अच्छा लगने लग जाता है। जब आप का बौद्धिक स्तर दूसरे व्यक्ति से मेल खाने लगे, तो समझियेगा कि अब दुनिया की भौतिक चीजें बेमानी लगनी शुरू हो जाएंगी।
स्वतंत्रता वाला लव:
जब आपका साथी, आपको अपनी जिंदगी जीने के लिए इतनी छूट दे कि आप स्वयं ही, उसके प्रति वफादार होने को, अपनी जिम्मेदारी समझें। यह दुनिया का वो अद्भुत प्यार है जो सीमाओं से परे है, फिर भी आप खुद को एक सीमा में बंधा हुआ पाते हैं।
ना जाने ऐसे कितने ही लव हैं जो मेरी इस कलम से अछूते रह गए है। दुनिया में तरह तरह के लव है और खास बात ये है कि हमें उम्र के किसी न किसी पड़ाव पर हर तरह के लव से गुजरना पड़ता है। कभी ये लव हमें अपने माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, बेटा-बेटी या कितने ही जाने- अनजाने रिश्तों में बंधने पर मजबूर करता है। बस जरूरत है अवलोकन करने की, कि कब हम कौन से प्यार की गिरफ्त में हैं।
असली वाला लव:
असली प्यार हमें तभी होता है जब हम सबसे पहले स्वयं से प्यार करते हैं। स्वयं से प्यार करना ही उस परमात्मा से मिलन का एकमात्र आसान तरीका है। प्रेम परमात्मा का ही दूसरा रूप है। परमात्मा से मिलन की चाह हमारे अंतर्मन गहरे में छुपी हुई है। इसीलिए जब भी हम किसी के साथ होने के बावजूद भी स्वयं में ही होते हैं। अपना स्वरूप और वजूद नही बदलते तो हमारी समझ के मुताबिक हमें उस व्यक्ति से प्यार हो जाता है। यही प्रेम का सार है क्योंकि उसके साथ रहकर ही हमे स्वयं की अनुभूति होती है। स्वयं की खोज ही प्रेम है। प्रेम ही परमात्मा है।