सत्य इतना सरल नहीं होता कि हर कोई उसकी ऊचाईयां छू सके क्योंकि सत्य को जानना स्वयं की गहराईयों में जाना है, स्वयं के मौन में छलांग लगानी है और हम व्यस्त है बाहर के शोरगुल में। छलांग लगाने के लिए साहस चाहिए क्योकि गहराईओ का हमे अंदाज़ा ही नहीं है, और कैसे अंदाजा होगा? कभी अपने में झाकने की फुर्सत ही नहीं मिलती; और हम वह हो सके जो हम है, इससे बड़ी लड़ाई भी कोई हो नहीं सकती।
यह कटु सत्य है कि जीवन की सबसे कठिन स्थितिओ में अगर हम खुद को न संभाले तो दुनिया बड़े गौर से हमारे टूटने का आनंद लेने को बेसब्र रहती है। जिस समय हम हर परिस्थिति में लड़ने को और कुछ बड़ा करने कि दिशा में तत्पर होते है तो यही हमारे आसपास के चाहने वाले हर वह संभव प्रयास करते है कि हम कमज़ोर पड़ जाये। मेरा सदा प्रश्न यही रहा है कि दूसरा सदा इतना अहम क्यों रहा है?
हर बहस, समाचार, अनुसंधान और तकनीकी प्रगति दूसरों से आगे हमारी महानता को स्वीकार करने की दौड़ है। क्या ज़रुरत है लक्ष्य साधने की और क्या होगा खुद को दुनिया के सामने मजबूत साबित करने से? हमारे लक्ष्य भी गौर से देखे तो दुसरे को कुछ साबित करना या दुसरे को यह बताना कि मैं भी कमज़ोर नहीं , जैसे गौण कारणों से भरे होते है।
मेरी इन बातों में भी अनेको अनेक लोग गलती ढूंढ़ने का प्रयास करेंगे, बिना गहन मनन किये भी! नारीवाद की चर्चा करने वाले, नारी के प्रति गहनतम द्वेष से भरे मिलते है। नैतिकता की बातें करने वाले अँधेरे कमरों में पतन की हर सीमा लांख जाते है। विश्व शांति पर संवाद करने वाले अपने आतंकित करने वाले चेहरे पर प्यारा मुखौटा ओढे मिलते है।
इस तरह के अंतर्विरोध, चारों ओर कितना भ्रम और मिथक पैदा करते हैं – हम कभी-कभी, ऐसे विरोधाभासों से परे, जीवन को भूल जाते हैं। बहुत पहले नुसरत फ़तेह अली का कलाम सुना था, “तुम एक गोरखधंधा हो” – यह सब समझ आने वाली चीज़ नहीं है!
कोयल की रागिनी में
मैंने उस सन्नाटे को सुना है
जहाँ मधुरता के एहसास ने
क़तरा क़तरा खुद को बुना है
वह नहीं कूकती तेरे लिए
मेरे लिए, किसी के लिए
बस वह कूकती है
उसका गाना ही उसका होना है
मधुरता ने भी उसके
श्याम रंग को चुना है
कोयल की रागिनी में
मैंने उस सन्नाटे को सुना है