मैं ना थी चिड़िया इस दुनिया की
कौन सुने, किस किस को कहती
थक गयी हूँ मैं उड़ उड़ कर
ना कोई ठौर, ना कोई ठिकाना
जिस पर बैठ आराम मैं करती
साथ तुम्हारा अच्छा लगता है
लेकिन साथ रह नहीं सकती
बातें तुम्हारी अच्छी लगती है
लेकिन बात कर नहीं सकतीं
मैं ना थी चिड़िया इस दुनिया की
कौन सुने, किस किस को कहती
ना कोई साथी, ना कोई संगी
जिससे मन की बात मैं कहती
हर ओर शिकारी, मेरे पंख नोचते
फिर भी दर्द ना कह सकती
देखना तुम्हे अच्छा लगता है
लेकिन तुम्हे देख नहीं सकती
प्यार करना अच्छा लगता है
प्यार तुम्हे पर कर नहीं सकती
मैं ना थी चिड़िया इस दुनिया की
कौन सुने, किस किस को कहती