आँसू
तू क्यों आँखों से बाहर आ जाता है
जैसे लोग एक दूसरे को
अपने दिल से निकाल देते है
क्या आंख ने भी तुझे
अपने दिल से निकाल दिया है
क्या आंख भी मतलबी हो गयी है
आँसू ने कहा नहीं
नहीं निकालना चाहती है आंख मुझे
यह सारा खेल तेरी मोहब्बत का है
तेरी बेपनाह मोहब्बत मज़बूर करती है
मुझे बाहर आने को
जब तेरी हदे गुजरती है
हदे पार करके मुझे भी आना पड़ता है
तेरी ओर